हर रोज 154 किसान और दिहाड़ी मजदूरों ने की आत्महत्या: NCRB रिपोर्ट

 

एनसीआरबी यानी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2022 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर रोज लगभग 154 किसान और दिहाड़ी मजदूरों ने पारिवारिक समस्याओं और बीमारी के कारण आत्महत्या की है. वहीं 2021 में किसान और दिहाड़ी मजदूरों के हर रोज आत्महत्या करने की संख्या 144 थी. रिपोर्ट के अनुसार किसानों की आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए, इसके बाद कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश का नंबर आता है.

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 1 लाख 70 हजार 924 आत्महत्याएं दर्ज की गई थी जबकि 2021 में 1,64,033 आत्महत्या के केस सामने आए थे. रिपोर्ट में अधिकतर आत्महत्या की वजह पारिवारिक समस्याएं, शादी से संबंधित मुद्दों और बीमारी को बताया गया है. देश में 2021 में कुल 54.9 प्रतिशत आत्महत्या के मामले थे जो इस साल 4% और बढ़ गए हैं. पिछले पांच वर्षों में आत्महत्याओं की संख्या में 27.06 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है और शहरी क्षेत्रों और शहरों में आत्महत्या दर (16.4) अधिक थी.

आधे से अधिक पीड़ितों ने फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. इसके बाद जहर खाना, डूबना और वाहनों/ट्रेनों से कट जाना जैसे अन्य तरीकों का सहारा लिया गया. आंकडो़ के अनुसार 6.6 प्रतिशत किसानों और 26.4 प्रतिशत दिहाड़ी मजदूरी ने आत्महत्या की है. इसके बाद आत्महत्या करने वालों में 14.8 प्रतिशत गृहिणियां भी शामिल रहीं. 2021 में भी इसी तरह के आंकड़े देखे गए 7.6 प्रतिशत छात्रों और 9.2 प्रतिशत बेरोजगारों ने आत्महत्या की.

आंकड़ों से कृषि क्षेत्र का संकट स्पष्ट है. पिछले साल खेती से जुड़े कम से कम 11,290 व्यक्तियों – 5,207 किसानों/किसानों और 6,083 खेतिहर मजदूरों – ने अपना जीवन समाप्त कर लिया. 2021 में, कृषि क्षेत्र से जुड़े कुल 10,881 व्यक्तियों (5,318 किसान और 5,563 खेती मजदूर शामिल) की आत्महत्या से मृत्यु हो गई.

रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, चंडीगढ़, दिल्ली (यूटी), लक्षद्वीप और पुदुचेरी में किसानों/किसानों के साथ-साथ खेतिहर मजदूरों की शून्य आत्महत्या की सूचना मिली.

आत्महत्या करने वाले 1,22,724 पुरुषों में से 41,433 दैनिक वेतन भोगी थे, इसके बाद स्व-रोज़गार वाले और पेशेवर वेतनभोगी लोग थे. महिलाओं में, 25,309 आत्महत्याओं के साथ गृहिणियों की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद छात्रों और दैनिक वेतन भोगियों का स्थान है.

शहरों और शहरी स्थानों में भी 2019 से 2022 तक आत्महत्याओं में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है. 53 मेगासिटी के आंकड़ों के अनुसार, संख्या में क्रमशः 4.6 प्रतिशत, 6.5 प्रतिशत, 8.8 प्रतिशत और 1.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

इसके अतिरिक्त, डेटा से पता चलता है कि आत्महत्या करने वाले कम से कम 23.9 प्रतिशत पीड़ित मैट्रिक स्तर तक शिक्षित थे, इसके बाद 18 प्रतिशत मिडिल स्तर तक, 14.5 प्रतिशत प्राथमिक स्तर तक और 11.5 प्रतिशत निरक्षर थे. आत्महत्या करने वाले केवल 5-6 प्रतिशत लोग ही स्नातक थे.