नूंह बुलडोजर एक्शन में 70 फीसदी मुसलमान, 30 फीसदी हिंदू प्रभावित: सरकार

 

31 जुलाई की नूंह हिंसा के बाद हरियाणा सरकार द्वारा चलाए गए विध्वंस अभियान को लेकर सरकार ने शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में जवाब दाखिल किया है. मकान गिराए जाने के अभियान के खिलाफ एक याचिका के जवाब में सरकार ने बताया कि गुरुग्राम में अधिकारियों द्वारा ढहाए गए ज्यादातर मकान मुस्लिम समुदाय के लोगों के थे. इस कार्रवाई से 70 प्रतिशत मुसलमान प्रभावित हुए. सरकार ने न्यायमूर्ति रविशंकर झा और न्यायमूर्ति अरुण पल्ली की पीठ के समक्ष यह ये दलील दी. बता दें कि हाई कोर्ट की यह पीठ स्वत: संज्ञान से शुरू की गई जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

इससे पहले बुलडोजर एक्शन पर सवाल उठाते हुए, हाई कोर्ट ने इस सप्ताह की शुरुआत में पूछा था कि क्या “कानून और व्यवस्था की समस्या की आड़ में” एक “विशेष समुदाय” की संपत्तियों को निशाना बनाया गया था और क्या “जातीय सफाया का अभ्यास” किया जा रहा था.

अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक सभरवाल ने मीडिया में बयान देते हुए कहा कि सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि “ऐसा बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता कि यह जातीय नरसंहार का मामला है. यह कोर्ट की केवल एक आशंका थी” उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने जवाब में बताया कि उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था और किसी भी विभाग ने “धर्म के आधार पर डेटा एकत्र नहीं किया है”

हरियाणा सरकार ने दावा किया कि जिले में हाल ही में किए गए विध्वंस अभियान से 283 मुस्लिम और 71 हिंदू परिवार प्रभावित हुए हैं. राज्य ने यह दावा करके संख्या को उचित ठहराया कि नूंह मूलतः मुस्लिम बहुल क्षेत्र है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 443 मकान ध्वस्त किए गए, जिनमें से 162 स्थायी थे और शेष 281 अस्थायी थे. विध्वंस अभियान से प्रभावित व्यक्तियों की संख्या 354 थी, जिनमें से 71 हिंदू और 283 मुस्लिम थे.

हलफनामे में कहा गया है कि मकानों को ध्वस्त करने से पहले कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था. कानून की प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई भी विध्वंस नहीं किया गया.जवाब में कहा गया, “सरकार ने अतिक्रमण/अनधिकृत निर्माणों को हटाते समय कभी भी जाति, पंथ या धर्म के आधार पर ‘उठाओ और चुनो’ की नीति नहीं अपनाई.”

वहीं गुरुग्राम के उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने अतिक्रमण के संबंध में विवरण एकत्र करते समय जाति, पंथ और धर्म के संबंध में कोई जानकारी एकत्र नहीं की। बल्कि सभी अतिक्रमणकारियों से एक ही तरीके से निपटा गया.