केरल में दिहाड़ी मजदूर ने कमाए हर रोज सबसे ज्यादा ₹746 तो वहीं मध्यप्रदेश में सबसे कम ₹229 रुपये रही मजदूरी!

 

औसतन, ग्रामीण भारत में एक पुरुष खेती-बाड़ी मजदूर ने वित्त वर्ष 2023 में प्रति दिन ₹345.7 कमाए हैं. यह आंकड़ा इस महीने की शुरुआत में जारी भारतीय राज्यों पर RBI की हैंडबुक ऑफ़ स्टैटिस्टिक्स के अनुसार है. केरल में खेती-बाड़ी मजदूरों को सबसे अधिक ₹764.3 प्रति दिन कमाने का मौका मिला, जोकि राष्ट्रीय औसत से दोगुने से भी अधिक है. आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2015 के बाद से हर साल यही स्थिति रही है. इसके उल्ट हम इतना ही काम करने वाले मध्य प्रदेश के मजदूर की बात करें तो उसे प्रति दिन मात्र ₹229.2 की दिहाड़ी मिली है, जो देश में सबसे कम मजदूरी है. पिछले नौ वित्तीय वर्षों में, मध्य प्रदेश ने वित्त वर्ष 2021 और 2018 को छोड़कर, सात वित्तीय वर्षों में खेती-बाड़ी मजदूरों को सबसे कम दैनिक मजदूरी मिली है. इन दो वित्तीय वर्षों में, गुजरात ऐसा राज्य है, जहां देश में सबसे कम खेती-बाड़ी मजदूरी का भुगतान किया गया, जिसके कारण उन दो सालों के लिए मध्य प्रदेश सबसे कम मजदूरी देने वाले राज्यों की सूची में दूसरे स्थान पर रहा.

वित्त वर्ष 2023 में, देश में दूसरी सबसे कम खेती-बाड़ी-दैनिक दिहाड़ी ₹241.9 प्रति दिन गुजरात के मजदूर को मिली. यह राष्ट्रीय औसत से 30 फीसदी कम है. केरल के बाद ग्रामीण इलाकों में हिमाचल प्रदेश के पुरुष मजदूरों ने दैनिक मज़दूरी ₹473.3 के हिसाब से दिहाड़ी कमाई. बेशक यह दूसरे नंबर पर हो पर फिर भी यह केरल में एक मजदूर की प्रतिदिन की कमाई से ₹291 कम है. हालाँकि, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु (सूची में तीसरे) में मजदूरी के बीच का अंतर मात्र ₹3 प्रति दिन है. तुलनात्मक रूप से अधिक खेती-बाड़ी मजदूरी देने वाले अन्य राज्य पंजाब ₹424.8 और हरियाणा 393.3 प्रति दिन हैं.

जबकि वित्त वर्ष 2013 के लिए राज्यों में महिलाओं के लिए खेती-बाड़ी मजदूरी अभी तक जारी नहीं की गई है, ऐतिहासिक रूप से, महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में कम कमाई की है. खेती-बाड़ी मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2011 में, भारत में एक महिला खेती-बाड़ी क्षेत्र मजदूर ने अपने पुरुष समकक्ष की तुलना में प्रति दिन ₹88 कम कमाए थे.

देश के सभी बड़े राज्यों में, महाराष्ट्र में महामारी से पहले और बाद के समय के बीच खेती-बाड़ी मजदूरी में सबसे अधिक बढ़ोतरी हुई है. वित्त वर्ष 2020 और 2023 के बीच, ग्रामीण महाराष्ट्र में पुरुषों के लिए खेती-बाड़ी मजदूरी ₹231.8 से बढ़कर ₹303.5 हो गई, जोकि 31 प्रतिशत की बढ़ोतरी है. हालाँकि, महाराष्ट्र अभी भी खेती-बाड़ी मजदूरों को सबसे कम वेतन देने वाले निचले पांच राज्यों में से एक है. कर्नाटक में ₹292 से ₹379.5 तक 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई, जबकि आंध्र प्रदेश में ₹302.6 से ₹384.4 तक 27.03 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. इसके उल्ट, सालों-साल सबसे अधिक भुगतानकर्ता होने के बावजूद, केरल में खेती-बाड़ी मजदूरी 2020 से 2023 के बीच केवल 9 प्रतिशत बढ़ी.