लम्पी स्किन डिजीज के कारण देश में 2.08 लाख पशुओं की मौत हुई!

 

मवेशियों की मौत को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है. पिछले दो वर्षों में लम्पी स्किन डिजीज (एलएसडी) के प्रकोप के कारण देश में 2.08 लाख मवेशियों की मौत हुई है और कुल 32.73 लाख मवेशी इस बीमारी का शिकार हुए हैं. इस गंभीर स्थिति को 20 दिसंबर को संसद में मवेशियों में फैली लम्पी बिमारी के प्रसार पर स्थायी समिति द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट में रेखांकित किया गया था.

लंपी स्किन डिजीज एक वायरल बीमारी होती है, जो गाय-भैंसों में होती है. लम्पी स्किन डिज़ीज़ में शरीर पर गांठें बनने लगती हैं, खासकर सिर, गर्दन, और जननांगों के आसपास. धीरे-धीरे ये गांठे बड़ी होने लगती हैं और घाव बन जाता है. पशुओं को तेज बुखार आ जाता है और दुधारु पशु दूध देना कम कर देते हैं, मादा पशुओं का गर्भपात हो जाता है, कई बार तो पशुओं की मौत भी हो जाती है. एलएसडी वायरस मच्छरों और मक्खियों जैसे खून चूसने वाले कीड़ों से आसानी से फैलता है. साथ ही ये दूषित पानी, लार और चारे के माध्यम से भी फैलता है.
राजस्थान सबसे अधिक प्रभावित राज्य रहा है, जहां कुल 15.67 लाख संक्रमित मवेशियों में से 76,030 से अधिक मौतें हुईं. बारीकी से देखें तो महाराष्ट्र में 34,711 मौतें और कर्नाटक में 30,973 मौतें हुईं. पंजाब में 17,932 मौतें हुईं, जबकि हिमाचल प्रदेश में 1.40 लाख संक्रमित मवेशियों में से 11,275 मौतें हुईं. हरियाणा में 1.14 लाख संक्रमित मवेशियों में से 2,938 की मौत हुईं.

2022-23 में, कुल 35.61 लाख मवेशी संक्रमित हुए, जिसके परिणामस्वरूप 2.08 लाख मौतें हुईं, जिनमें 2.97 लाख गंभीर संक्रमण और 22,313 मौतें शामिल हैं. राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक में देश के बाकी हिस्सों की तुलना में इस बीमारी का व्यापक प्रसार देखा गया.
आपको बता दें कि राजस्थान में लंपी वायरस के कहर के बाद बहुतेरे पशुपालकों को बीमा योजना का लाभ भी नहीं मिला था और हरियाणा में तो दवाओं का स्टोक तक खत्म हो गया था. इसके अलावा लंपी वायरस के कारण प्रभावित राज्यों के दूध उत्पादन में 20 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई थी और संक्रमित पशुओं की दूध उत्पादन की क्षमता कम हो गई थी, जबकि कमजोर पशु बिल्कुल भी दूध नहीं देते थे. यह सब हमने गांव सवेरा पर उस समय रिपोर्ट भी किया था.