राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के लिए 1000 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड बिके!

 

भारतीय स्टेट बैंक के आंकड़ों के अनुसार, तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान इलेक्टोरल बांड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे की राशि 2018 में इन राज्यों में हुए चुनावों की तुलना में 400% से अधिक बढ़ गई है. अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को आईटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक एसबीआई डेटा से पता चला कि 6 नवंबर से 20 नवंबर तक हुई बिक्री की 29वीं किश्त में 1,006.03 करोड़ रुपये के चुनावी बांड बेचे गए और भुनाए गए हैं.

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को एक अन्य आरटीआई जवाब में, एसबीआई के आंकड़ों से पता चला कि 2018 में, जब चुनावी बांड की छठी किश्त 1 नवंबर से 11 नवंबर तक बेची गई, तो कुल बिक्री 184.20 करोड़ रुपये थी. उस साल नवंबर-दिसंबर में इन पांच राज्यों में चुनाव हुए थे.

चुनावी बांड योजना के तहत नवीनतम बिक्री (29वीं किश्त) में सबसे अधिक बिक्री तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद (359 करोड़ रुपये) की रही, इसके बाद मुंबई (259.30 करोड़ रुपये) और दिल्ली (182.75 करोड़ रुपये) का स्थान रहा. यह इससे पहले भी होता आया है, इससे पहले नई दिल्ली शाखा में सबसे अधिक राशि (882.80 करोड़ रुपये) चुनावी बांड भुनाने की जानकारी सामने आई थी. वहीं हालहि में राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान जयपुर में 31.50 करोड़ रुपये, रायपुर में 5.75 करोड़ रुपये और भोपाल में 1 करोड़ रुपये के चुनावी बांड बेचे गए. मिजोरम में कोई बिक्री दर्ज नहीं की गई।

चूंकि इलेक्टोरल बॉंन्ड योजना जानकारी छिपाए जाने की गारंटी देती है, दानकर्ता और प्राप्तकर्ता की कोई भी जानकारी साझा नहीं की जाती है, लेकिन डेटा से पता चलता है कि सबसे अधिक फंडिंग हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली से आई और दिल्ली की पार्टियों में गई, जो राष्ट्रीय पार्टियों की ओर इशारा करती है. सरकार ने राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से 2018 में यह योजना शुरू की थी। हालाँकि, आलोचकों ने इसे अपारदर्शी कहा है क्योंकि दानदाताओं की पहचान गुप्त रखी गई है.

बता दें कि एसबीआई चुनावी बांड जारी करने के लिए अधिकृत एकमात्र बैंक है. 2018 के बाद से 29 चरणों में पोल बांड योजना के माध्यम से पार्टियों द्वारा एकत्र की गई कुल राशि अब 15,922.42 करोड़ से अधिक हो गई है.