सरकार ने रेलवे की 62 हजार हेक्टेयर जमीन निजी हाथों में सौंपने की मंजूरी दी!

 

केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह हुई कैबिनेट बैठक के बाद घोषणा की कि भारतीय रेलवे की जमीन को लंबे समय के लिए पट्टे पर देने की योजना को मंजूरी दे दी है. सरकार ने रेलवे की जमीन के लिए लाइसेंस शुल्क को 6 प्रतिशत से घटाकर 1.5 प्रतिशत कर दिया है, लीज अवधि को भी पांच साल से बढ़ाकर 35 साल कर दिया गया है. सरकार ने इसके पीछे 30 हजार करोड़ के लाभ का दावा किया है.

सरकार का कहना है कि रेलवे की जमीन को 5 साल से बढ़ाकर 35 साल के लिए प्राइवेट कंपनियों के हाथों में देने से सरकार की आमदनी बढ़ेगी. सरकार का दावा है कि रेलवे की जमीन पर कार्गो टर्मिनल बनाने के साथ पीपीपी यानी पब्लिक पाइवेट पार्टनरशिप से अस्पताल और स्कूल बनाने के लिए भी उपयोग में लाया जाएगा.

रेल मंत्रालय के अनुसार रेलवे के पास 4.84 लाख हेक्टेयर जमीन है इसमें से 62 हजार हेक्टेयर जमीन खाली पड़ी है, यानी अब इस 62 लाख हेक्टेयर जमीन को 35 साल के लिए निजी कंपनियों को सौंप दिया जाएगा.