जातिवार जनगणना के समर्थन में हुड्डा,”जनसंख्या के आधार पर आरक्षण देने में मदद मिलेगी”

 

पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा ने अंग्रेजी अखबार ‘द ट्रिब्यून’ के साथ एक इंट्रव्यू में जातिगत जनगणना का समर्थन करते हुए कहा, “हरियाणा में जाति जनगणना से समुदायों को उनकी जनसंख्या बल के अनुसार आरक्षण देने में मदद मिलेगी और साथ ही, अति पिछड़े समुदायों की पहचान करने में मदद मिलेगी. 2013 में उनकी सरकार ने ऊंची जातियों के आर्थिक रूप से गरीबों के लिए भी 10 प्रतिशत कोटा देने का काम किया था.” साथ ही उन्होंने कहा, ”आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाई जानी चाहिए”

वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा द्वारा कांग्रेस के सत्ता में वापस आने पर अलग-अलग जातियों से चार डिप्टी सीएम रखने के उनके विचार का विरोध करने पर, हुड्डा ने दोहराया, “विधायक और आलाकमान सीएम चुनते हैं. 2019 में, मैंने चार डिप्टी सीएम बनाने की घोषणा की थी, जिनमें से एक ब्राह्मण समुदाय, पिछड़ी जाति और अनुसूचित जाति से और चौथा किसी अन्य जाति से हो.” वहीं कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में टिप्पणी की थी कि सीएम का पद किसी के लिए आरक्षित नहीं है और इसका फैसला सभी 36 बिरादरी में से किया जाना चाहिए.

इसके साथ ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने नूंह हिंसा पर फिरोजपुर झिरका विधायक मम्मन खान का समर्थन करते हुए सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार ने अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए उन्हें फंसाया है. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने कहा है कि नूंह हिंसा संगठित अपराध की घटना नहीं थी. स्थानीय लोग इसमें शामिल नहीं थे और कुछ युवा उत्तेजना का शिकार हो गये. सीआईडी रिपोर्ट कह रही थी कि दंगे भड़क सकते हैं, लेकिन सरकार की ओर से समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया,”

उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि खट्टर सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है. “मेरे शासन के दौरान, बेरोजगारी दर 2.9 प्रतिशत थी जबकि अब यह 9 प्रतिशत है. एडीओ, एसडीओ (इलेक्ट्रिकल) आदि जैसी सरकारी नौकरियों में दूसरे राज्यों के लोगों का चयन किया जा रहा है.”

हुड्डा ने कहा कि वह 1 नवंबर से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र का दौरा करेंगे, और कहा “मंडियों में धान की भरमार है, लेकिन उठाव धीमा है. किसानों को एमएसपी नहीं मिल रहा है. पोर्टलों को लोगों का जीवन आसान बनाना चाहिए, जटिल नहीं. सरकार को परिवार पहचान पत्र और संपत्ति आईडी को वापस लेना चाहिए.