ऑक्सफैम रिपोर्ट: SC/ST, मुस्लिम और महिलाओं के साथ रोजगार क्षेत्र में भेदभाव, महिलाओं और पुरुषों में 100 फीसदी रोजगार असमानता!

 

ऑक्सफैम ‘इंडिया डिस्क्रिमिनेशन रिपोर्ट 2022’ के अनुसार देश में जाति, लिंग और धर्म के नाम पर लोगों को भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. भेदभाव के कारण महिलाओं, दलित, आदिवासी और मुस्लिम समुदाय के लोगों के रोजगार पर भी सीधा असर पड़ रहा है. रिपोर्ट के अनुसार लैंगिक भेदभाव के चलते ग्रामीण इलाकों में रोजगार असमानता 100 फीसदी तक है तो वहीं शहरी इलाकों में महिलाओं के साथ 98 फीसदी रोजगार असमानता है. रिपोर्ट के अनुसार एक जैसी शिक्षा और अनुभव के बावजूद पुरुषों की कमाई महिलाओं से 2.5 गुना ज्यादा है. गांवों में रोज कमाने वाले पुरुष हर महीने महिलाओं की तुलना में औसत तीन हजार रुपए ज्यादा कमाते हैं. पुरुषों और महिलाओं के बीच कमाई में अंतर का मुख्य कारण लैंगिक भेदभाव है.

ऑक्सफैम की ‘इंडिया डिस्क्रिमिनेशन रिपोर्ट 2022’ के मुताबिक महिलाओं के अलावा दलित, आदिवासी और मुस्लिमों को भी नौकरियों में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. इसके अनुसार, शहर में एसी और एसटी कैटेगरी के नियमित कर्मचारियों की औसत कमाई 15,312 रुपए रही तो वहीं सामान्य वर्ग के लोगों की कमाई 20,346 रुपए थी यानी सामान्य वर्ग से आने वाले लोग एसी और एसटी समुदाय के लोगों से 33 फीसदी ज्यादा कमाई करते हैं. रिपोर्ट में सामने आया कि ग्रामीण इलाकों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों के साथ रोजगार के मामले में भेदभाव बढ़ा है.

ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ का कहना है कि बाजार में भेदभाव तब होता है जब समान क्षमता वाले लोगों के साथ उनकी पहचान या सामाजिक पृष्ठभूमि के कारण अलग व्यवहार किया जाता है. उन्होंने कहा कि भारत में हाशिए के समुदायों के जीवन पर भेदभाव और इसके प्रभाव को मापने के लिए अब तक बहुत कम काम किया गया है.