सिग्नल सिस्टम में खराबी को लेकर फरवरी में चेताया था, सरकार की लापरवाही बनी सैंकड़ों लोगों की मौत का कारण!

 

शुक्रवार को ओडिशा के बालेसवर में हुए भीषण ट्रेन हादसे में करीबन 280 लोगों की मौत हो गई है. भारतीय रेलवे की शुरुआती जांच में सिग्नल सिस्टम में खामी को हादसे का कारण माना गया है. वहीं इस भीषण हादसे के करीबन तीन महीने पहले ही रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने ‘ सिग्नल सिस्टम में गंभीर खामियों’ के बारे में चेतावनी दी थी और इंटरलॉकिंग की विफलता पर भी चिंता जताई थी लेकिन समय रहते इस चेतावनी की ओर काई ध्यान नहीं दिया गया और यह लापरवाही एक बड़े हादसे में तब्दील हो गई. अंग्रेजी वेबसाइट ‘द प्रिंट’ में छपी पत्रकार अंनिशा दत्ता की रिपोर्ट के अनुसार रेवले अधिकारी द्वारा फरवरी में ही तत्काल कार्रवाई की मांग की गई थी जिसपर कोई एक्शन नहीं लिया गया.

रिपोर्ट के अनुसार साउथ वेस्ट रेलवे जोन के प्रिंसिपल चीफ ऑपरेटिंग मैनेजर ने 9 फरवरी को लिखे पत्र में एक एक्सप्रेस ट्रेन के सिग्नल फेल होने की चिंता जताई थी, जिसका विषय था “मैसूर डिवीजन के बिरूर-चिकजाजुर सेक्शन के होसदुर्गा रोड स्टेशन पर 8 फरवरी को गंभीर असुरक्षित घटना हुई जिसमें ट्रेन सं. 12649 (संपर्क क्रांति एक्सप्रेस) एक मालगाड़ी के साथ आमने-सामने की टक्कर होने की संभावना बनी थी. उन्होंने कहा, “लोको पायलट की सतर्कता के कारण ट्रेन को गलत लाइन (डाउन लाइन) में प्रवेश करने से पहले ही रोक दिया गया और एक बड़ी दुर्घटना टल गई.

अधिकारी ने कहा, “घटना से संकेत मिलता है कि “सिस्टम में गंभीर खामियां हैं जहां एसएमएस पैनल में रूट की सही उपस्थिति के साथ सिग्नल पर ट्रेन शुरू होने के बाद डिस्पैच का मार्ग बदल जाता है जो इंटरलॉकिंग के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.” उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि अगर सिग्नल रख रखाव सिस्टम की निगरानी नहीं की गई और इसे तुरंत ठीक नहीं किया गया, तो इससे गंभीर हादसा हो सकता है.

वहीं दुर्घटना से कुछ घंटे पहले शुक्रवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की अध्यक्षता में हुए ‘चिंतन शिविर’ में मौजूद अधिकारियों के अनुसार, रेलवे सुरक्षा से जुड़ी प्रेजेंटेशन को छोड़ दिया गया था. एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर रिपोर्टर को बताया, “केवल एक ही जोन को सेफ्टी को लेकर प्रेजेंटेशन देने की अनुमति दी गई थी, जबकि वंदे भारत ट्रेनों की शुरुआत और राजस्व बढ़ाने पर चर्चा की अनुमति दी गई थी.” एक अन्य अधिकारी के मुताबिक, “बैठक में मालगाड़ियों के पटरी से उतर जाने को लेकर भी चिंता जताई गई थी. पिछले महीनों में मालगाड़ियों के पटरी से उतरने की खतरनाक घटनाएं हुई हैं जहां लोको पायलटों की मौत हो गई और वैगन पूरी तरह से नष्ट हो गए.”