लखीमपुर खीरी हत्याकांड: पीड़ित किसान परिवारों ने छोड़ी न्याय की उम्मीद!

 

उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने अपनी एक गाड़ी से किसानों को कुचलने की घटना को अंजाम दिया था. घटना के दो साल बीत जाने के बाद भी परिजन न्याय की उम्मीद में भटक रहे हैं. हिंसा पीड़ितों के परिवारों ने न्याय की लड़ाई जारी है नहीं अधिकतर किसान परिवारों ने न्याय की उम्मीद खो दी है, क्योंकि आशीष मिश्रा पर चल रहा किसानों की हत्या का मुकदमा बहुत देरी से चल रहा है.

जब 3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकोनिया गांव में किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ धरना देकर घर लौट रहे थे तब आशीष मिश्रा ने अपनी एसयूवी पैदल जा रहे किसानों पर चढ़ा दी थी जिसमें तो पांच लोगों- चार किसानों (लवप्रीत सिंह, नछत्तर सिंह, गुरविंदर सिंह और दलजीत सिंह) और एक फोटो जर्नलिस्ट रमन कश्यप की मौत हो गई थी.

लखीमपुर खीरी हिंसा के सबसे कम उम्र के पीड़ित लवप्रीत के पिता सतनाम सिंह ने अंग्रेजी अखबार ‘द ट्रीब्यून’ को बताया, “सरकार उनकी है, हमें न्याय की कोई उम्मीद नहीं है. मामला बहुत धीमी गति से चल रहा है और हमारे पास केवल देरी है. मुकदमा महज औपचारिकता है. उन्होंने आगे बताया जब लवप्रीत की मौत हुई तब वह 18 साल के थे. उनकी दो बहनें अभी भी अविवाहित हैं और मां सतविंदर कौर अपने बेटे की मौत के सदमे से बमुश्किल उबर पाई हैं.” मृतकों के परिजनों का कहना है कि अब तक सरकारी नौकरी देने का वादा पूरा नहीं किया गया है हालांकि पीड़ित परिवारों को 35 लाख रुपये मिले.

सतनाम सिंह और मृतक दलजीत सिंह के परिवार ने कहा कि राज्य सरकार ने उन्हें चीनी सहकारी मिलों में नौकरी की पेशकश की थी जो वे नहीं चाहते हैं, वादा सरकारी नौकरी देने का किया गया था. मेरी दो बेटियां हैं, मैं उन्हें चीनी मिल में नौकरी के लिये नहीं भेज सकता जहाँ केवल पुरुष कर्मचारी हैं. हमारे बच्चों को खोने के बाद, राज्य सरकार ने उनके परिजनों को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था अब वे कह रहे हैं कि वादा सहकारी व्यवस्था में नौकरियों का था लेकिन यह सच नहीं है. हम अभी भी अपने बच्चों के लिए किसी स्कूल या बैंक में अच्छी सरकारी नौकरियों में नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं.”

लखीमपुर खीरी हत्याकांड मुकदमे में सतनाम सिंह की 17 अक्टूबर को लखीमपुर जिला अदालत में गवाही होनी है. अब तक अभियोजन पक्ष के 208 गवाहों में से चार के बयान दर्ज हो चुके हैं और पांचवां गवाही देने की प्रक्रिया में है. मृतक किसानों के वकीलों ने कहा कि उनके पास आशीष मिश्रा के खिलाफ मजबूत मामला है.

पीड़ितों के परिजनों के वकील मोहम्मद अमान ने कहा, ”हम जानते हैं कि परिवारों ने उम्मीद खो दी है लेकिन हमने नहीं” अमान का कहना है कि अभियोजन पक्ष के पास आरोपी आशीष मिश्रा से अपराध को जोड़ने वाले 171 दस्तावेजी सबूत हैं.
अमान कहते हैं, “हमारे पास उनकी चैट, एसयूवी के फुटेज के 17 टुकड़े, अनुकूल बैलिस्टिक रिपोर्ट जैसे सबूत हैं.”

208 गवाहों में से 15 प्रत्यक्षदर्शी हैं जो 3 अक्टूबर, 2021 को खीरी हिंसा में घायल हुए थे; 90 प्रत्यक्षदर्शी हैं जो घायल नहीं हुए और 29 राहगीर थे जो हिंसा के बारे में कुछ जानते हैं. मोहम्मद अमान कहते हैं, “अब तक बयान दर्ज कराने वाले सभी पांच लोग चश्मदीद गवाह हैं, जो खुद उस दिन हुई हिंसा में गंभीर रूप से घायल हुए थे.” उनका कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जनवरी में आशीष मिश्रा को अंतरिम जमानत दी थी तो लखीमपुर जिला अदालत ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि मुकदमे में कम से कम पांच साल लगेंगे. अमान कहते हैं, यही एक कारण था कि सुप्रीम कोर्ट ने आशीष को अंतरिम जमानत दे दी.

इस साल 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आशीष की जमानत शर्तों में और ढील देते हुए उसे अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए दिल्ली जाने की इजाजत दे दी. इससे पहले जनवरी में, शीर्ष अदालत ने आशीष को दिल्ली और उत्तर प्रदेश, जहां अपराध हुआ था, की यात्रा करने से रोकते हुए जमानत दे दी थी.

लखीमपुर खीरी हत्याकांड में मारे गए एक किसान के परिजन सतनाम सिंह ने कहा, “आशीष मिश्रा को न केवल जमानत मिल गई, वह सामान्य जीवन जी रहा है. हम ही हैं जो अभी भी पैसा खर्च कर रहे हैं.” बता दें कि लखीमपुर खीरी की एक अदालत ने 6 दिसंबर, 2022 को आशीष के खिलाफ हत्या और आपराधिक साजिश सहित अन्य धाराओं में आरोप तय किए थे.