कृषि कानून: नरेन्द्र मोदी के चेहरे और एक व्यापारी के दिमाग की अजीब दास्तान!

 

किसानों की आय दोगुनी करने के नाम पर मोदी सरकार द्वारा बनाई गई अजीबोगरीब रणनीति का खुलासा हुआ है. खोजी रपटें करने वाली संस्था रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि तीन कृषि कानूनों के पीछे एक सॉफ्टवेयर कम्पनी चलाने वाले NRI का हाथ था. उस NRI व्यापारी का नाम शरद मराठे है और वह एक बड़े बीजेपी नेता का करीबी है. शरद मराठे का कृषि से जुड़ा कोई अनुभव नहीं रहा है, बावजूद इसके उस व्यापारी को कृषि कानूनों से जुड़ी नीति आयोग की टास्क फोर्स में शामिल किया गया.

दरअसल किसानों की आय दोगुनी करने के लिए शरद मराठे ने ही नीति आयोग को एक टास्क फोर्स का गठन करने के लिए कहा था जिसमें खुद शरद मराठे को भी शामिल किया गया. इतना ही नहीं तीन कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए किसानों से नहीं बल्कि अडानी समूह, महिंद्रा समूह, ITC और पतंजलि जैसे कारोबारी घरानों को आमंत्रित किया गया. अपने प्रस्ताव से नीति आयोग को झुकाने वाले शरद मराठे कृषि, किसानी या इससे जुड़े किसी विषय के विशेषज्ञ नहीं हैं बल्कि एक सॉफ्टवेयर कंपनी चलाने वाले व्यापारी हैं. रिपोर्ट में सामने आया कि नीति आयोग ने NRI व्यापारी शरद मराठे के व्यापारिक मंसूबों को आगे बढ़ाने के लिए तेजी और उत्सुकता से काम किया.

तीन कृषि कानूनों के तहत किसान-कॉर्पोरेट शैली से खेती करने की योजना थी जिसमें कारोबारी कंपनियों को किसानों की खेती योग्य जमीन पट्टे पर देकर उनके सहयोगी के रूप में काम करने की योजना थी. वहीं 2018 में सरकार को रिपोर्ट सौंपने से पहले किसी भी किसान, अर्थशास्त्री या किसान संगठनों से सलाह नहीं ली गई. यानी पीएम नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुनी करने के वादे जिसपर करीबन 60 फीसदी भारतीयों की आय निर्भर करने वाली थी ऐसी योजना में कृषि क्षेत्र के स्टेकहोल्डर्स की ही अनदेखी की गई.

इसके दो साल बाद, देश ने खेती में कॉर्पोरेट खिलाड़ियों को अनुमति देने और खेतीबाड़ी को खुले बाजार के हवाले करने के उद्देश्य से तीन विवादास्पद कानून लाने के मोदी सरकार के फैसले पर सबसे लंबे समय तक चलने वाले किसान आंदोलन को भी देखा. हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन में बैठे. किसान बड़ी बहादुरी से लड़े. आंदोलन के दौरान 750 से ज्यादा किसानों ने अपनी शहदत दी और आखिर में सरकार को कानूनों को रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

दरअसल अक्टूबर 2017 में, शरद मराठे ने नीति आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष राजीव कुमार को एक पत्र लिखा था जिसमें कृषि में सुधार के लिए अपने एजेंडे की रूपरेखा रखी गई थी. शरद मराठे और राजीव कुमार एक दूसरे के जानकार हैं. ऐसा इसलिए भी माना जा सकता है क्योंकि नीति आयोग के पास सालभर में इस तरह के हजारों सुझाव और प्रस्ताव आते हैं, लेकिन इन सबके बीच केवल शरद मराठे के प्रस्ताव पर विचार किया जाता है. बीजेपी सरकार के साथ व्यापारी शरद मराठे के संबंध इतने गहरे हैं कि उन्हें सितंबर 2019 में भारत के शीर्ष ग्रामीण बैंक नाबार्ड के साथ स्पेन की राजकुमारी से मिलने वाले सरकारी प्रतिनिधिमंडल में जगह मिली.

अमेरिका से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री वाले मैकेनिकल इंजीनियर मराठे अमेरिका में यूनिवर्सल टेक्निकल सिस्टम्स इंक नामक एक सॉफ्टवेयर कंपनी चलाते हैं और भारत में यूनिवर्सल टेक्निकल सिस्टम्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड नामक एक अन्य कंपनी चलाते हैं. रिपोर्ट के अनुसार शरद मराठे 60 के दशक से अमेरिका में रह रहा है. मराठे का कहना है “मेरी रुचि उन विषयों में है जिनका समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ता है. मैं अपने समय का एक हिस्सा अपनी सॉफ्टवेयर कंपनी चलाने में बिताता हूं और दूसरा मैंने जीवन में क्या सीखा है जिसे मैं सामने ला सकता हूं जिसका समाज पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा”

भारत के नीतिगत हलकों में उनकी पहुंच इस बात से समझी जा सकती है कि पूर्व प्रधान मंत्री और भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी के शासन के दौरान भारत में सॉफ्टवेयर पार्क स्थापित करने के विचार का सुझाव देने में वह शामिल रहे थे.
2016 में, उत्तर प्रदेश में एक किसान रैली को संबोधित करते हुए, मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का जिक्र किया था. इसे हासिल करने के लिए विचार किया जा रहा था. वहीं इस बीच व्यापारी शरद मराठे के ब्लूप्रिंट का शीर्षक था “बाजार संचालित, कृषि-लिंक्ड मेड इन इंडिया के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी करना” जिसको नीति आयोग ने हाथो हाथ लिया.

मराठे ने दावा किया कि उनके पास किसानों की आया दोगुनी करने का एक नया फॉर्मूला है जिसपर सरकार को अमल करते हुए आगे बढ़ना चाहिए. जिसके तहत किसानों से पट्टे पर ली गई जमीन को एक साथ जोड़कर सरकारी मदद से एक बड़ी मार्केटिंग कंपनी बनाना, और प्रोसेसिंग और खेती के लिए छोटी कंपनियां बनाना शामिल था. शरद की योजना के अनुसार ये कंपनियां कृषि उत्पाद बनाने और बेचने के लिए मिलकर काम करती. जो किसान अपनी जमीन पट्टे पर देते, वे भी इसका हिस्सा बन सकते थे और लाभ का हिस्सा प्राप्त कर सकते थे. इससे उन्हें अधिक पैसा कमाने में मदद मिलती और खेती बेहतर होती.
उन्होंने इसकी निगरानी के लिए एक विशेष ‘टास्क फोर्स’ गठित करने की सिफारिश की. और एक कदम आगे बढ़ते हुए उन्होंने उन 11 लोगों की सूची बनाई जिन्हें टास्क फोर्स का हिस्सा होना चाहिए. उन्होंने खुद को और तत्कालीन कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को उस सूची में शामिल किया. यह एकमात्र टास्क फोर्स नहीं थी जिसका मराठे हिस्सा था. इसके अलावा 2018 में, सॉफ्टवेयर कंपनी के मालिक को आयुष क्षेत्र को बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय की टास्क फोर्स का भी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. कृषि क्षेत्र की तरह इस टास्कफोर्स के लिए भी शरद मराठे के पास कोई अनुभव नहीं था. शरद ने अपने साथ साथ अपने एक व्यापारी दोस्त संजय मारीवाला को भी खेती बाड़ी से जुड़ी टास्क फोर्स का हिस्सा बनाया. शरद मराठे संजय मारीवाला के साथ मिलकर 18 कंपनियां चलाते हैं जिसका खेती बाड़ी से कोई लेना देना नहीं है.