अंबाला: किसानों ने सरसों जैसी तिलहनी फसलों का रुख किया!

 

हरियाणा के पुआद इलाके में किसानों का दांव सरसों पर पिछले सीज़न में कम कमाई के बावजूद, अंबाला जिले में सरसों जैसी तिलहनी फसलें किसानों को खूब भा रही हैं. कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, पिछले सीजन में जहां 6,900 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सरसों की खेती की गई थी, वहीं विभाग के अधिकारियों को उम्मीद है कि इस साल यह 7,000 हेक्टेयर के आंकड़े को पार कर जाएगी. कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि सरसों की बुआई पिछले महीने समाप्त हो गई है, लेकिन सर्वेक्षण अभी भी जारी है और इस साल रकबा 7,000 हेक्टेयर के आंकड़े को पार करने की उम्मीद है.

पिछले सीजन में बाजार में सरकारी खरीद एजेंसी के अभाव और कम मांग के कारण किसानों को अपनी सरसों की फसल एमएसपी से नीचे बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा था. सरसों का एमएसपी 5,450 रुपये प्रति क्विंटल था, लेकिन किसानों को निजी व्यापारियों को 4,600 से 5,400 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से अपनी सरसों बेचनी पड़ी थी. हालांकि खरीद एजेंसी हैफेड ने सरसों की खरीद 14 मार्च से शुरू की गई थी, लेकिन तब तक निजी व्यापारी एमएसपी से नीचे बड़ी मात्रा में खरीद चुके थे. रबी विपणन सीजन 2024-25 के लिए सरसों का एमएसपी बढ़ाकर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

सरसों के लिए गेहूं उगाना बंद करने वाले किसान सुखविंदर सिंह ने कहा, “पिछले साल हमने 14 एकड़ में सरसों उगाई थी, इस साल रकबा बढ़ाकर 24 एकड़ कर दिया गया है. किसान फरवरी के अंत तक सरसों की कटाई शुरू कर देते हैं. किसानों के पास स्टोरेज न होने के कारण वे तिलहन का भंडारण करने की स्थिति में नहीं होते हैं, इसलिए वे सरकारी खरीद एजेंसी द्वारा फसल की खरीद का इंतजार करते हैं.”

सुखविंदर, जो भारतीय किसान यूनियन (शहीद भगत सिंह) के अम्बाला ब्लॉक-1 के अध्यक्ष भी हैं, ने बताया, “पिछले सीज़न में, मैंने निजी व्यापारियों को लगभग 50 क्विंटल सरसों 4,770 रुपये प्रति क्विंटल पर बेची थी, जबकि सीज़न के लिए एमएसपी 5,450 रुपये प्रति क्विंटल था.” कृषि उपनिदेशक जसविंदर सैनी ने कहा, “सरसों को गेहूं की तुलना में कम उर्वरक और सिंचाई की आवश्यकता होती है और इससे फसल भी अधिक लाभकारी हो जाती है. पिछले तीन-चार वर्षों से किसान तिलहनी फसलों में अच्छी रुचि दिखा रहे है”