कर्नाटक: पिछले पांच महीने में 251 किसानों ने की आत्महत्या!

 

कर्नाटक के कलबुर्गी में तूअर यानी अरहर दाल की फसल उगाने वाले किसान भारी संकट से गुजर रहे हैं. कलबुर्गी में पिछले सितंबर महीने के अंदर हर दूसरे दिन एक किसान ने आत्महत्या की है. जिला अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (डीसीआरबी) के अनुसार, सूखे के कारण जून में खरीफ सीजन की शुरुआत के बाद से कर्ज में डूबे 29 अरहर किसानों को अपना जीवन खत्म करने पर मजबूर होना पड़ा. इसमें जून में तीन, जुलाई में पांच, अगस्त में सात और सितंबर में किसानों के आत्महत्या के मामले शामिल हैं.

वहीं पूरे कर्नाटक में अप्रैल से लेकर अब तक 251 किसानों की आत्महत्या की सूचना है. कलबुर्गी में पिछले साल बाढ़ और ज्यादा बारिश से पहले ही तबाह हो चुके तुअर किसान इस बार खराब मानसून के कारण फसल के नुकसान से जूझ रहे हैं.

जिला अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (डीसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबित, तुअर बेल्ट के अन्य जिलों में भी बड़ी संख्या में किसानों ने आत्महत्या की हैं. जून से सितंबर के बीच बीदर जिले में 35, विजयपुरा में 21 और यादगीर जिले में 21 किसानों की आत्महत्याएं दर्ज की गईं हैं.

कृषि विभाग के अनुसार, कुल 8,65,024 हेक्टेयर में से 5,95,250 हेक्टेयर में अरहर की खेती की जाती है, जो कलबुर्गी जिले के कुल बुवाई क्षेत्रों का 69% है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1,94,969 हेक्टेयर में उगाई गई तुअर सहित 33% फसलें इस खरीफ सीजन में बारिश की कमी से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. पड़ोसी बीदर, रायचूर और यादगीर जिलों में उगाई गई अरहर की फसल भी अनियमित मानसून के कारण नष्ट हो गई है.

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सितंबर के अंत तक अरहर के पौधे चार फीट के बजाय मात्र दो फीट के ही हो पाये हैं. इससे कर्नाटक के अरहर का कटोरा कहे जाने वाले कलबुर्गी में फसल की गुणवत्ता के अलावा पैदावार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. यह जिला कर्नाटक में सबसे अधिक तुअर फसल का उत्पादन करता है, और भारत के उत्पादन का लगभग दसवां हिस्सा है. अरहर की फसल के नुकसान ने किसानों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं.

अंग्रेजी वेबसाइट डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार जेवार्गी तालुक के अंबरखेड़ गांव के मारेप्पा ने बताया. “मेरे पिता बलप्पा केंभवी ने अपने सात एकड़ खेत में अरहर और कपास की खेती की थी. उन्होंने कृष्णा ग्रामीण बैंक और अन्य साहूकारों से लगभग 6 लाख रुपये का कर्ज लिया था. पिछले दो साल के दौरान फसलों के नुकसान के कार कर्ज की राशि बढ़ गई और कर्ज के कारण उन्होंने एक कुएं में कूदकर अपना जीवन खत्म कर लिया.”

वहीं जेवार्गी तालुक के मानसिवंगी गांव के रहने वाले 28 साल के गुरुरेवांसिद्दा पुजार ने कर्ज पर पैसा उठाकर एक ट्रैक्टर खरीदा था लेकिन इस नौजवान किसाव ने बैंक अधिकारियों के दबाव के कारण फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक समद पटेल ने कहा कि सरकार ने इस साल फसल नुकसान के कारण आत्महत्या करने वाले 11 किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया है. उन्होंने कहा, “फसल के नुकसान का अनुमान पहले ही सरकार को सौंप दिया गया है और कृषि और राजस्व विभाग संयुक्त रूप से एक विस्तृत सर्वेक्षण करेंगे. यह रिपोर्ट अक्टूबर के पहले सप्ताह में आने की उम्मीद है.”