डीएपी के साथ किसानों पर जबरन अन्य दवाइयां खरीदने का दबाव बना रहे डीलर!

 

खाद और कीटनाशक बेचने वाले व्यापारी किसानों को जरुरी उत्पादों के साथ-साथ गैर जरुरी उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर करके उन्हें लूट रहे हैं. इन दिनों गेहूं की बुआई चल रही है, जिसके लिए किसानों को डीएपी की जरूरत है. हालाँकि, जब किसान डीएपी खरीदने के लिए डीलर के पास जाते हैं, तो उन्हें अन्य उत्पाद जैसे नैनो-यूरिया, जिंक और सल्फर आदि खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है. अंग्रेजी अखबार ‘द ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार रोहतक के मोखरा गांव के किसान धर्मपाल कहते हैं, “गेहूं की बुआई के दौरान डीएपी की आवश्यकता होती है, लेकिन इसकी आपूर्ति कम रहती है. स्थिति का फायदा उठाते हुए, व्यापारी हमें डीएपी के साथ-साथ सल्फर, जिंक और नैनो-यूरिया आदि जैसे अन्य उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर करते हैं.”

अन्य गांवों के किसानों की भी शिकायत है कि दुकानदार उन्हें जबरन अन्य उत्पाद बेचते हैं, जो दुकानदारों के लिए अधिक लाभदायक होते हैं. किसानों का कहना है कि जब गेहूं की बुआई के लिए डीएपी की जरूरत होती है तो दुकानदार मुनाफा कमाने के लिए डीएपी की कमी का फायदा उठाते हैं. आंवल गांव के किसान दिनेश ने कहा, ”गेहूं की फसल की बुआई के लिए डीएपी खरीदना हमारी मजबूरी है. इसलिए, खाद व्यापारियों ने कहा, हमारे पास डीएपी के साथ अन्य उत्पाद खरीदने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.”

किसानों का कहना है कि उन्होंने किसान क्लब, रोहतक की पिछली बैठक में कृषि और किसान कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में अपनी शिकायत व्यक्त की थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. मामले के बारे में पूछे जाने पर, रोहतक के उप निदेशक (कृषि) डॉ. करम चंद ने कहा कि उन्होंने डीलरों को किसानों को जबरन कोई भी उत्पाद बेचने के खिलाफ चेतावनी दी थी. “हमने इस संबंध में एक लिखित पत्र जारी किया है और हाल की बैठक में डीलरों से स्पष्ट रूप से कहा है कि वे इस तरह का काम न करें यदि कोई किसान अभी भी डीएपी प्राप्त करने के लिए उत्पाद खरीदने को मजबूर है, तो वह हमारे पास शिकायत दर्ज करा सकता है. दोषी पाए गए डीलर के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.