महाराष्ट्र: सात महीनों में 1555 किसानों ने की आत्महत्या!

 

महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्षी नेता विजय वडेट्टीवार ने किसानों की आत्महत्या से जुड़ा बड़ा खुलासा किया है. विपक्षी नेता ने बताया कि इस साल 31 जुलाई तक महाराष्ट्र में 1,555 किसानों ने दुखद रूप से अपनी जान ले ली. इन किसानों ने सूखे के संकट के चलते आत्महत्या का कदम उठाया है.

वडेट्टीवार ने कहा कि पिछले छह हफ्तों में, राज्य के 13 जिलों में औसत से कम बारिश हुई है. उन्होंने आगे बताया कि कई रिपोर्टों ने राज्य में बढ़ती किसान आत्महत्याओं को सूखे जैसी स्थितियों और एकनाथ शिंदे सरकार की कथित उदासीनता को जिम्मेदार ठहराया है.

मीडिया को संबोधित करते हुए विपक्षी नेता वडेट्टीवार ने खुलासा किया कि अमरावती डिवीजन में इस साल के पहले सात महीनों में 637 किसानों की आत्महत्या की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है. अमरावती में जनवरी से 31 जुलाई के बीच 183 किसानों ने आत्महत्या की, इसके बाद बुलढाणा में 173, यवतमाल में 149, अकोला में 94 और वाशिम में 38 किसानों ने आत्महत्या की.

इसके अलावा, औरंगाबाद डिवीजन में 584 किसानों की आत्महत्या का चिंताजनक आंकड़ा दर्ज किया गया, जबकि नासिक डिवीजन में 174, नागपुर में 144 और पुणे डिवीजन में 16 किसानों की आत्महत्याएं दर्ज की गईं. वहीं कोंकण डिवीजन, पुणे और कोल्हापुर जिलों में किसान आत्महत्या की कोई रिपोर्ट नहीं थी.

स्थिति की तात्कालिकता पर प्रकाश डालते हुए, वडेट्टीवार ने बताया कि जून में किसानों की आत्महत्याओं की संख्या सबसे अधिक थी, जो उस महीने के दौरान 233 तक पहुंच गई. वर्ष की पहली छमाही में अन्य महीनों के आंकड़े जनवरी में 226, फरवरी में 192, मार्च में 226, अप्रैल में 225, मई में 224 और जुलाई में 229 थे. वडेट्टीवार ने सरकार से सूखा घोषित करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘किसान हर दिन अपनी जान गंवा रहे हैं, सरकार इस गंभीर स्थिति को कब स्वीकार करेगी?’