प्राइवेट बीमा कंपनियों की मनमानी, किसानों को मुआवजा देने से किया इनकार!

 

हरियाणा में बीमा कंपनियों पर किसानों का एक हजार करोड़ से ज्यादा का फसल बीमा क्लेम बकाया है. फसल के मुआवजे को लेकर हरियाणा के अलग अलग जिलों में किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन अब तक भी किसानों को फसल का मुआवजा नहीं दिया गया है. फतेहाबाद में फसल मुआवजे की मांग को लेकर स्थानीय विधायक के घर का घेराव करते नजर आ थे किसानों के सड़क पर उतरने से अब तक सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा है लेकिन इस बीच बीमा कंपनियों की चलाकी सामने आई है दरअसल बीमा कंपनियों ने किसानों की खराब फसल की मुआवजा देने से इनकार कर दिया है. यहां तक कि बीमा कंपनियों ने उन किसानों के लिए भी हाथ खड़े कर दिए हैं जो अपनी फसल बीमा का प्रीमियम तक भर चुके हैं.

हरियाणा सरकार के खेती बाड़ी मामलों के सलाहकार की ओर से लिखे गए एक पत्र में यह खुलासा हुआ है कि बीमा कंपनियों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू करने से इनकार कर दिया है.

सरकार के खेती बाड़ी सलाहकार की ओर से लिखे पत्र में फसल बीमा के नामपार किसानों के खातों से काटी गई राशि लौटाने की बात कही गई है ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि फसल की बुवाई और बीमा प्रीमियम भरने के बाद प्राइवेट कंपनियों ने बीमा देने से इंकार क्यों किया है. अंबाला, हिसार, करनाल, गुरुग्राम, मेहद्रगढ़ और सोनीपत जिलों से जुड़े किसानों को लेकर यह फरमान निकाला गया है. पहले से बाढ़ और मौसम की मार झेल रहे किसानों पर प्राइवेट बीमा कंपनियों दोहरी मार है.

वहीं इसको लेकर हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने मीडिया में कहा, “किसानों को घबराने की जरुरत नहीं है
अगर प्राइवेट कंपनी बीमा करने से पीछे हटी हैं तो हम अपने स्तर पर किसानों की फसलों का बीमा करेंगे”

तो वहीं विपक्षी नेता कुमारी शैलजा ने इस मुद्दे पर कहा, “प्रदेश का किसान आज स्वयं को ठगा महसूस कर रहा है. सरकार के संरक्षण में मोटी कमाई करने वाली बीमा कंपनी ने जिस तरह 7 जिलों में फसलों का बीमा करने से इनकार कर दिया, वह चिंताजनक है. किसानों की मदद के नाम पर बीमा कंपनियों ने करीब 55 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की है. जब किसानों को इन कंपनियों की करतूत समझ में आने लगी तो अब कंपनियां फसलों का बीमा करने को तैयार नहीं हैं. किसानों से विश्वासघात करने वाली बीमा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.”