पंजाब: एक साल से खराब फसल के मुआवजे को लेकर भटक रहे किसान!

 

जहां एक ओर किसान इस साल जुलाई और अगस्त में पंजाब में आई बाढ़ के लिए मुआवजे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर, कुछ किसान ऐसे भी हैं जो अभी भी पिछले साल हुए फसल नुकसान के लिए मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं. फाजिल्का के किसान पिछले साल हुए फसल के नुकसान को लेकर मुआवजे की मांग कर रहे हैं तो वहीं मुक्तसर में खेत मजदूर अपने घरों को हुए नुकसान के लिए राहत का इंतजार कर रहे हैं. घरों को हुए नुकसान के मुआवजे की मांग को लेकर 26 अगस्त को पंजाब खेत मजदूर यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल मुक्तसर के डिप्टी कमिश्नर से मिलकर पिछले साल 4760 घरों को हुए नुकसान के मुआवजे के रूप में लगभग 5.95 करोड़ रुपये की मांग कर चुका है, लेकिन खबर है कि राहत रााशि का वितरण अभी तक भी चंडीगढ़ में वित्त विभाग के पास लंबित है.

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस में छपि रिपोर्टर राखी जग्गा की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब खेत मजदूर यूनियन के महासचिव लछमन सिंह ने बताया, “जिन खेत मजदूरों और सीमांत किसानों के घरों को बाढ़ से नुकसान हुआ है, उन्हें अब तक मुआवजा नहीं मिला है. इसी साल मई में जिला प्रशासन की ओर से 5.95 करोड़ रुपये की मांग की गयी थी, लेकिन अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. इनमें से 3470 घर मलौत में, 920 घर मुक्तसर में और 340 घर गिद्दड़बाहा निर्वाचन क्षेत्र में हैं. इस साल 2 और 4 सितंबर को, अबोहर और फाजिल्का के कुछ गांवों के किसानों ने डिप्टी कमिश्नर फाजिल्का को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें सफेद मक्खी के हमले के कारण पिछले साल जुलाई और अगस्त में खराब हुई कपास की फसल के मुआवजे की याद दिलाई गई. वहीं जलालाबाद और फाजिल्का के कुछ ग्रामीणों ने पिछले साल जुलाई में बाढ़ के कारण धान की फसल को हुए नुकसान के लिए मुआवजे की मांग की थी. एक साल से अधिक समय बीत चुका है लेकिन किसानों को अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला है.”

राजस्व रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल जुलाई में भारी बारिश के कारण जलालाबाद और फाजिल्का गांवों में 13,516 एकड़ जमीन खराब हो गई थी. क्षेत्र में बाढ़ से लगभग 4,500 किसान प्रभावित हुए. बीकेयू राजेवाल के सदस्य और अबोहर निवासी दर्शन सिंह ने कहा, “सीएम भगवंत मान ने पिछले साल कहा था कि गिरदावरी होने से बहुत पहले किसानों के खातों में पैसा पहुंच जाएगा, लेकिन एक साल बीत चुका है हमें अभी तक कोई पैसा नहीं मिला है.” दर्शन सिंह ने आगे कहा, “मैंने लगभग 35 एकड़ में कपास की खेती की थी लेकिन पानी की कमी, भीषण गर्मी और सफेद मक्खी के हमले के कारण पूरी फसल खराब हो गई. गिरदावरी भी की गई लेकिन अब तक कोई मुआवजा नहीं मिला.”

कल्लरखेड़ा गांव के किसान राणा संधू ने एक्सप्रेस की रिपोर्टर को बताया, “पिछले साल 1 अप्रैल को उनके गांव में भी पानी की आपूर्ति प्रभावित हुई थी उसके बाद पानी की कमी और अत्यधिक गर्मी के कारण सफेद मक्खी का हमला हुआ और जब जून के तीसरे सप्ताह के बाद पानी छोड़ा गया, तो हमें केवल पहले 2-3 दिनों के लिए खारा पानी मिला इसमें मेरी चार एकड़ कपास की फसल खराब हो गई थी. हमने 17 अगस्त को अबोहर के गुमजाल टेल प्वाइंट पर प्रदर्शन किया था और 4 अक्टूबर को विशेष गिरदावरी शुरू होने पर धरना हटा लिया गया था. लेकिन अब भी, हम एक साल बाद भी मुआवजे के लिए दर-दर भटक रहे हैं.”

एक साल बाद भी कपास और धान की फसल के नुकसान की रिपोर्ट नहीं बन पाई है. फाजिल्का जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, “अक्टूबर में एक विशेष गिरदवारी शुरू की गई थी और एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई थी, लेकिन कई कमियों के चलते इसे रद्द कर दिया गया. इसके बाद विभाग ने यह जानने के लिए मंडियों की जांच की कि क्या जिस जमीन के लिए मुआवजा मांगा गया था, उसके एवज में कोई फसल बेची गई थी. इसके बाद एक अंतिम रिपोर्ट तैयार की जानी थी.” वहीं फाजिल्का, जलालाबाद और अबोहर एसडीएम ने अभी तक पिछले साल के नुकसान की अंतिम रिपोर्ट डीसी कार्यालय को नहीं भेजी है.

7 एकड़ में कपास की खेती कर रहे अबोहर के किसान सुखजिंदर सिंह राजन ने कहा, “मैंने फसल नुकसान के मुआवजा वितरण में इतनी देरी कभी नहीं देखी. हम पहले ही एक साल में चार बार डीसी से मिल चुके हैं जबकि पिछले साल हम पूर्व डीसी हिमांशु अग्रवाल से भी मिले थे लेकिन फिर भी कुछ नहीं किया गया”

वहीं एक अधिकारी ने बताया, “5 एकड़ तक की फसल नुकसान पर ही मुआवजा मिलेगा. फसल नुकसान की रिपोर्ट के दोबारा सत्यापन से पिछले साल के मुआवजे में देरी हुई. अन्यथा, इस साल की बाढ़ राहत के लिए 8 करोड़ रुपये फाजिल्का को प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 1 करोड़ रुपये पहले ही बांटे जा चुके हैं.”

अबोहर के किसान और फाजिल्का जिले के बीकेयू (राजेवाल) अध्यक्ष सुखमंदर सिंह ने कहा, “इस साल भी अबोहर में नहरों के अंतिम छोर पर किसानों को सूखे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा, लेकिन फाजिल्का और जलालाबाद के कई गांवों में कई हिस्से बाढ़ की चपेट में आ गए. जिले के एक तरफ सूखा है और दूसरी तरफ बाढ़ है. यह राज्य में पानी के कुप्रबंधन को दर्शाता है.अगर जल्द से जल्द मुआवजा नहीं दिया गया तो हम 20 सितंबर से आंदोलन शुरू करेंगे.”