फसल कटने को तैयार है लेकिन किसानों को अब तक नहीं मिली सीधी बुआई की प्रोत्साहन राशि!

 

पंजाब में भूजल स्तर में गिरावट वाले 16 जिलों में कृषि विभाग द्वारा प्रचारित चावल की सीधी बुआई यानी डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस तकनीक को अपनाने वाले सैकड़ों किसान अभी भी प्रोत्सहान राशि का इंतजार कर रहे हैं. चावल की सीधी बुआई को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 1,500 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्सहान राशि दी जानी थी. वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि फील्ड स्टाफ डीएसआर फसल का आकलन कर रहा है और रिपोर्ट मुख्यालय पहुंचने के बाद किसानों को राशि दी जाएगी.

वहीं इस पर पीड़ित किसानों का कहना है, “डीएसआर विधि से बोए गए धान की कटाई कुछ ही हफ्तों में हो जाएगी, लेकिन कृषि विभाग ने अभी तक 1,500 रुपये की प्रोत्साहन राशि जारी नहीं की है.” बता दें कि एक पायलट परियोजना के रूप में, 16 जिलों में करीबन 1.5 लाख एकड़ में डीएसआर तकनीक द्वारा धान की बुआई की गई थी. यह पायलट परियोजना उन इलाकों में चलाई गई थी जहां 1998 के बाद से भूजल स्तर 21.3 मीटर से घटकर 1.5 मीटर हो गया था. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि मिट्टी के सैंपल लेने और भूजल स्तर में गिरावट विभिन्न जिलों में इस पर विचार किया गया था. उन्होंने आगे कहा, “पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की सलाह के अनुसार कम पानी के साथ अधिकतम उपज प्राप्त करने, कम और मध्यम अवधि के धान को बढ़ावा देने का विचार था.”

बते दें कि 15 मई को, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने डीएसआर तकनीक से धान की खेती करने वाले किसानों के लिए 1,500 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन की घोषणा की थी, जो पारंपरिक विधि की तुलना में भूजल बचाने में मदद करती.

किसानों ने अफसोस जताते हुए कहा, “यह उनके लिए कठिन मौसम था क्योंकि खरपतवार हटाने के लिए दो-तीन बार छिड़काव करना पड़ा और अतिरिक्त मजदूर लगाने पड़े. शुरुआत में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति थी. बाद में, लगभग एक महीने तक मुश्किल से बारिश हुई, जिससे कीटों का हमला और बढ़ गया”

इस पर कृषि विभाग के निदेशक, जसवन्त सिंह ने कहा, “उन्होंने पहले ही फील्ड अधिकारियों को आकलन पूरा करने और जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था. एक बार जब हमें रिपोर्ट मिल जाएगी, तो संबंधित किसानों को 1,500 रुपये की प्रोत्साहन राशि ऑनलाइन भेज दी जाएगी.”